हैदराबाद। तेलंगाना विधानसभा ने प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया का विरोध करते हुए गुरुवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें इसकी पारदर्शिता पर चिंता और जनसंख्या नियंत्रण उपायों को सफलतापूर्वक लागू करने वाले राज्यों के लिए संभावित नुकसान का हवाला दिया गया।
मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने प्रस्ताव पेश करते हुए इस बात पर जोर दिया कि परिसीमन प्रक्रिया राज्य सरकारों, राजनीतिक दलों और अन्य संबंधित समूहों सहित सभी हितधारकों के साथ पारदर्शी परामर्श के बिना आगे नहीं बढ़नी चाहिए।
प्रस्ताव में विचाराधीन कार्यप्रणाली पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला गया कि जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किया है, उन्हें संसद में प्रतिनिधित्व से वंचित करके दंडित नहीं किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि केवल जनसंख्या ही परिसीमन का एकमात्र मानदंड नहीं होना चाहिए।
उन्होंने 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों का जिक्र करते हुए बताया कि राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य अभी पूरी तरह हासिल नहीं हुआ है। रेड्डी ने प्रस्ताव दिया कि संसदीय सीटों की कुल संख्या में बदलाव करने की बजाय नवीनतम जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व में वृद्धि सुनिश्चित करते हुए राज्यों के भीतर निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने इस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
इसके अतिरिक्त, प्रस्ताव में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 और नवीनतम जनगणना के आंकड़ों के अनुसार विधानसभा सीटों को 119 से बढ़ाकर 153 करने का आह्वान किया गया। सदन ने केंद्र सरकार से इस विस्तार को सुविधाजनक बनाने और तेलंगाना में लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन पेश करने का आग्रह किया।